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बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य

बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य यह अभयारण्‍य, बलौदाबाजार जिले में स्थित है | इसे वन्‍यजीव अभयारण्‍य के रूप में 1972 में वन्‍यजीवन अधिनियम के तहत घोषित किया गया था। जो 245 वर्ग कि.मी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह अभयारण्‍य, समतल और पहाड़ी क्षेत्र का मिश्रण है जो 265 मीटर से 400 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहा औसतन 1200 मी.मी. वर्षा होती है तथा तापमान 4 डिग्री से 46 डिग्री सेल्सियश तक रहता है | यह एक ऐसा भूमि क्षेत्र है, जो कई छोटे-बड़े पठारों से निर्मित है । इसका दक्षिणी – पूर्वी भाग मैदानी है, जबकि उत्तरी भाग पहाड़ियों से घिरा हुआ है। महानदी की सहायक नदियां यहां के लिए जलस्त्रोत हैं। बालमदेही नदी इसकी पश्चिमी सीमा एवं जोंक नदी उत्तर-पूर्वी दिशा में विभाजक रेखा का निर्माण करती है। अभयारण्य के घने वनों को सागौन, साल और मिश्रित वनों में बांटा जा सकता है।

बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य

वन में सीधे तने वाले भव्य सागौन (टेक्टोना ग्रांडिस) के साथ अन्य वृक्ष जैसे साजा (टर्मिनालिया टोमेन्टोसा), बीजा (टेरोकार्पस मार्सुपियम), लेंडिया (लेगरस्ट्रोमिया पार्विफ्लोरा), हल्दू (अदीना कार्डिफोलिया), धौंरा (आनोगेसिस लेटिफोलिया), सलई (बासवेलिया सेराट), आंवला (इंब्लिका अफिकीनालिस), अमलतास (केसिया फिस्तुला), कर्रा आदि शामिल हैं वन में बांस के शानदार स्वरूप को देखा जा सकता है। सफेद कूलू (स्टेरकुलिया यूरेअस) के ध्यान आकर्षित करते पेड़ पूरे वन में खड़े है। दिसंबर माह से अभयारण्य की नदियों व नालों का पानी कम होने लगता है। नदी तल में अलग-अलग हिस्सों में पानी के छोटे- छोटे ताल देखने में बड़े आकर्षक लगते हैं। यहां मानव निर्मित कई जलाशय, तुरतुरिया झरना एवं अन्य जलप्रपात हैं । अभयारण्य के मध्य में लगभग 45 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र को कोर जोन के रूप में चिन्हित किया गया है जिसमें पर्यटकों का प्रवेश प्रतिबंधित है तथा बफर जोन पर्यटकों के भ्रमण हेतु खुला रहता है। अभयारण्य में तेंदुए, बाघ, गौर, भालू, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली शूकर सामान्यतः देखे जा सकते हैं | साथ ही कोटरी चौसिंगा, जंगली कुत्ता, लकड़बग्घा, लोमड़ी इत्यादि भी आसानी से दिखते हैं। रेंगने वाली प्रजातियों में कोबरा करैत, अजगर जैसे अनेक सर्प प्रजातियां पाई जाती है। इस अभयारण्य में 150 से भी अधिक प्रजातियों के पक्षी पाये जाते हैं। जिनमें. प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। प्रमुख पक्षी प्रजातियों. में मोर, दूधराज, तोते, गोल्डन अरियल, डरैंगो, राबिन, पाई, कठफोड़वा, बुलबुल, हुदहुद, बाझ, उल्लु इत्यादि हैं।

बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य

प्रमुख वन्य जीव-

इस अभयारण्‍य में चार सींग वाले हिरण, बाघ, तेंदुए, जंगली भैंसें, अजगर, बार्किंग हिरन, हाइना, साही, चिंकारा और ब्लैक बक्‍स आदि देखने को मिलते है। यहां पक्षी प्रेमियों के लिए काफी कुछ देखने को है। यहां कई प्रकार के पक्षी जैसे – बगुले, बुलबुल, इरगेट्स और तोता आदि की कई प्रजातियां देखी जा सकती है।

प्रमुख वनस्पतियां-

यह वन क्षेत्र शुष्क पर्णपाती पेड़ों और अन्य पेड़ों से समृद्ध है जिनमें बांस, सागौन, महुआ, तेंदू, बीर, सेमल, साक, टीक और बेंत आदि शामिल है। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के उत्तरी भाग में स्थित है | बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में बेहतरीन और महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है | यह 1972 के वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत 1976 में स्थापित किया गया | क्षेत्र की स्थलाकृति 265-400 लाख टन के बीच लेकर ऊंचाई के साथ फ्लैट और पहाड़ी इलाके के शामिल हैं. बारनवापारा वन्यजीव अभयारण् अपने हरे भरे वनस्पति और अद्वितीय वन्य जीवन के लिए जाना जाता है | बारनवापारा अभ्यारण रायपुर से 70 कि.मी. की दूरी पर रायपुर-सम्बलपुर मार्ग पर बलौदाबाजार जिले मे स्थित है |

पर्यटक मौसम-

फरवरी से जून का मौसम अच्छा रहता है हलाकि ठंडा मौसम अधिक आरामदायक और वन्य जीवन के अनुकूल होता है | 01 जुलाई से 31 अक्टूबर तक मानसून के कारन पार्क बंद रहता है यहाँ की यात्रा के लिए कम से कम तीन दिनों के प्रवास की योजना बनाएं ताकि दुर्लभ जानवरों को देखने का पर्याप्त अवसर मिल सके।

बारनवापरा अभ्यारण के पास कई दर्शनीय स्थल-

  • सिरपुर :- बारनवापारा से 32 कि.मी. की दूरी पर स्थित सिरपुर महानदी के तट पर स्थित है। यह प्रदेश का बहुत ही महत्वपूर्ण पुरातत्वीय केन्द्र है, जहां वैष्णव-शैव-बौद्ध एवं जैन संप्रदायों के स्मारकों के अवशेष मिलते है | यहां 7वीं शताब्दी में ईटों से निर्मित लक्ष्मण मंदिर है जो भारत के सुंदरतम प्राचीन मंदिरों में से एक है।
  • तुरतुरिया :- यह बारनवापारा अभयारण्य में स्थित है एवं प्राचीन मंदिरों में से एक है। उत्तरी सीमा पर स्थित बैरियर के पास है, जहां पर 8वीं शताब्दी के पुरातत्वीय अवशेष विद्यमान हैं। यहीं पर बाल्मीकि आश्रम है जहां लव एवं कुश का जन्म हुआ था। इसी  धार्मिक मान्यता के साथ पौष माह में यहां तीन दिवसीय मेला लगता है |
  • मातागढ़ :- तुरतुरिया से 2 कि.मी. दूर बालमदेही नदी के पश्चिम में देवी मां का प्राचीन मंदिर हैं |
  • नारायणपुर :- तुरतुरिया गेट से 10 कि.मी. की दूरी पर 11वीं शताब्दी में निर्मित भगवान शिव का मंदिर है। महानदी के तट पर यह धार्मिक स्थल स्थित है। शिवरात्रि में यहां बहुत बड़ा मेला लगता है ।
  • गिरौदपुरी धाम :- बारनवापारा से लगभग 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित गिरौदपुरी धाम संत गुरू घासीदास जी की जन्म स्थली है।
  • मल्हार :- यहां से 55 कि.मी. उत्तर में पुरातत्वीय केन्द्र मल्हार स्थित है, जहां वैष्णव, शैव, बौद्ध एवं जैन संप्रदायों के स्मारकों के अवशेष मिलते हैं। यहां ईसवी पूर्व दूसरी सदी से कलचुरि काल तक के अवशेष दर्शनीय हैं ।

आवास-

  • छ.ग. पर्यटन मंडल द्वारा संचालित 12 कमरे का हरेली ईको रिसॉट, मोहदा, बारनवापारा |
  • वन विश्राम गृह बारनवापारा, देवपुर, पकरीद, नवागांव तथा पर्यटक ग्राम बारनवापारा में कमरे एवं डॉरमेटरी व्यवस्था |
  • मूबा जंगल रिसॉर्ट में 7 डबल रूम |
  • सेलीब्रेशन जंगल कॉटेजेस– 7 डबल रूम |

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