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एक सफल दिनचर्या

एक सफल दिनचर्या

एक सफल दिनचर्या – संस्कृत में दैनिक कार्यकम को दिनचर्या कहते हैं। दिन का अर्थ है- दिन का समय और चर्या का अर्थ है उसका पालन करना या उसके निकट रहना। दिनचर्या आदर्श दैनिक कार्यक्रम है जो प्रकृति के चक्र का ध्यान रखती है। आयुर्वेद प्रातः काल के समय पर केंद्रित होता है क्योंकि वह पूरे दिन को नियमित करने में महत्वपूर्ण है।

एक सफल दिनचर्या
एक सफल दिनचर्या

आयुर्वेद यह मानता है कि दिनचर्या शरीर और मन का अनुशासन है और इससे प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है और मल पदार्थो से शरीर शुद्ध होता है। सरल स्वस्थ दिनचर्या से शरीर और मन शुद्ध होते हैं, दोष संतुलित होते हैं, प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होता है और दिन की शुरुआत ताज़गी से होती है। प्रातः काल में सरल दिनचर्या का पालन करने से आप की दिन की शुरुआत आनंदमय होती है। आपकी तरो- ताज़ा सुबह के लिये यहाँ एक मार्गदर्शिका है।

प्रत्येक व्यक्ति जिंदगी में सफल होना चाहता है और स्वस्थ रहना चाहता है। जिंदगी में सफल होना कई बातों पर निर्भर करता है जैसे परिश्रम करना, स्वस्थ रहना, खान पान, दिनचर्या, काम करने का तरीका आदि ऎसे कारक है जो आपकी जिंदगी पर सीधा प्रभाव डालते है। इन्ही कारणों में से एक प्रमुख कारण है आप की दिनचर्या। हम दिन भर में जो भी कार्य करते है उसे ही दिनचर्या कहते है। दिनचर्या सुबह उठने से शुरू होती है और रात को सोने तक चलती है। सभी की दिनचर्या अलग होती है जो उनकी उम्र, उनके कार्य पर निर्भर करती है इसलिए किसी की दिनचर्या की तुलना अपनी दिनचर्या से करने से बचे। एक अच्छी और नियमित दिनचर्या जहाँ आपको स्वस्थ और सफल बनाती है वहीँ अनियमित दिनचर्या से आप सफल नहीं हो पाते है और आपका स्वास्थ्य भी खराब रहता है। इससे हमारे जीवन पर बहुत अधिक नकरात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि इस दिनचर्या में कुछ परिवर्तन किये जाए तो हमारे लिए सफलता प्राप्त करना और सभी कामो को ठीक ढंग से पूरा करना सरल हो जाता है।

दिनचर्या की व्यस्तता के चलते खुद के लिए समय निकाल पाना मुश्किल है. समय की कमी की वजह से लोग खुद का ख्याल नहीं रख पाते हैं. यही कारण है कि शारीरिक व्यायाम (Physical Exercise) नहीं होने से कई बीमारियों (Diseases) के शिकार हो जाते हैं. जरूरी है कि अन्य काम करने के साथ ही खुद के स्वास्थ्य (Health) का भी ख्याल रखें. कई लोग फिट (Fit) रहने के लिए जिम  (Gym) जाते हैं, लेकिन थोड़े दिन जिम में जाने के बाद वह उसे नियमित नहीं कर पाते हैं. बहरहाल, खुद के लिए सुबह-सुबह के सिर्फ 40 मिनट निकालकर भी स्वस्थ रहा जा सकता है. इसके लिए एक नियमित दिनचर्या रखनी होगी. आइए जानें इन 40 मिनट में क्या करके खुद को स्वस्थ रखा जा सकता है:

सुबह जल्दी उठे

एक सफल दिनचर्या
एक सफल दिनचर्या

सुबह जल्दी उठने का प्रयास करे। इससे आपको दिनभर के कामो के लिए पूरा समय मिल पायेगा। नियमित कार्यो से निवृत होकर कसरत या योग करके अपने आप को स्वस्थ रखे। इसके लिए आप कम से कम आधा घंटे का समय जरूर निकाले। आप चाहे तो मैडिटेशन भी कर सकते है। यदि आप को सुबह का घूमना पसंद है तो आप किसी भी बगीचे या शांत जगह पर टहल सकते है। इससे आपको प्रदुषण रहित ताज़ी हवा का फायदा मिलेगा। इससे आपका मन खुश रहेगा और आप दिन भर बिना थके अपने सभी कामो को निपटा लेंगे। सुबह नाश्ता जरूर करे क्योंकि सुबह उठने पर शरीर को ताकत के लिए कुछ न कुछ खाने की जरुरत होती है। नाश्ता अपनी इच्छानुसार हल्का ले तो ठीक रहेगा। अगर आप रोज सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करना चाहते हैं तो फिर यह भी जरूरी है कि आप रात में जल्दी सोएं. शुरुआत में दिनचर्या में फेरबदल करना तकलीफदेह हो सकता है, लेकिन कुछ दिनों में हमारे शरीर की सरकेडियन क्लॉक खुद ब खुद हमें जगाना शुरू कर देती है. प्रयास यह करना चाहिए कि सूर्यादय के समय उठ जाएं. उस समय व्यायाम करना ज्यादा फायदा पहुंचाता है.

सुबह के व्यायाम करने के बाद थोड़ी देर शरीर को आराम दें. इसके लिए थोड़ी देर मनपसंद संगीत सुनें या फिर सकारात्मक बातों के बारे में सोचें. इससे मस्तिष्क को भी आराम मिलता है. इसके अलावा कुछ देर के लिए मेडिटेशन या प्राणायाम भी किया जा सकता है.

सकारात्मक तरंगे

प्राचीन परंपरा का पालन करते हुये अपने हथेली की रेखाओं को देखें और धन, ज्ञान और शक्ति की देवियों को याद करें । उंगलियों के ऊपर के भाग को अंगूठे से गोलाकार सुखदायक लय में घिसें – दाहिना दक्षिणावर्त गोलाकार और बायाँ वामावर्त गोलाकार लय में। हथेली को उंगली के ऊपर के भाग से घिसें और दाहिनी कलाई को दक्षिणावर्त लय में घुमाएँ और बायीं कलाई को वामावर्त लय में घुमाएँ । शरीर के जिस भाग में श्वास का प्रवाह अधिक हो पहले उस भाग की हथेली को चूमे और फिर दूसरी हथेली को चूमें। (चुंबन ऊर्जा प्रदान करती है। अपनी हथेली को चूमने से आप अपने सबसे प्रभावकारी शस्त्र आत्म अभिव्यक्ति को उत्तम कंपन प्रदान करते हैं। ) अपने दोनों हाथों को घिसे फिर दोनों हथेली को धीरे धीरे चेहरे, सिर, कंधे, हाथ और पैरों की ओर ले जाये जिससे ऊर्जा का एक कवच निर्मित हो जाता है और पूरे दिन नकारात्मक प्रभाव से संरक्षण मिलता है।

रोज करें योग

प्राणायाम करने से मन- मस्तिष्क तरोताजा रहता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है. इसके अलावा प्राणायाम से मानसिक शांति की अनुभूति होती है. अनुलोम-विलोम, कपालभाति, भ्रामरी जैसे प्राणायाम करने चाहिए, जिनसे फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. योग के लिए कम से कम 40 मिनट का समय निकालें. योग करने से शरीर में रक्त संचार सुचारू रहता है और शरीर में लचीलापन बना रहता है.

प्राणायाम तब तक करें जब तक दोनों नासिकाओं से श्वास बराबरी से प्रवाहित होना शुरू हो जाये। अपनी ऊर्जा को ह्रदय के चक्र या तीसरी आँख की ओर केंद्रित करके ध्यान करें। छोटी और धीमी गति से सुबह की ताज़ी हवा में चलें। अपने आप को सरल और सुखदायक दृश्यों में घेर लें खास तौर सफेद वस्तुओं जैसे ताज़े और सुगंधदार फूल जिनके सूक्ष्म रंग हों।

पूजा पाठ करे

सुबह स्नान करने के बाद भगवान का पूजा पाठ जरूर करे। इससे मन को शांति मिलती है और मन खुश रहता है। यदि आप के पास अधिक समय है तो आप भजन सुनना और धार्मिक ग्रन्थ पढ़ने का काम भी कर सकते है। यदि आप विद्यार्थी है तो आप सुबह पढाई करने की आदत जरूर डाले और यदि आप कही काम करते है तो उससे सम्बंधित काम कर सकते है। यदि आप दिन भर कार्यो की योजना बनाएंगे तो आप के काम सरलता से हो जायेंगे। इसलिए दिन भर के कार्यो की योजना जरूर बनाये।

दोपहर का समय

दोपहर का भोजन 12 से 1 बजे के बीच करना चाहिये क्योंकि यह समय उस उच्च समय से मेल खाता जो पाचन के लिये जिम्मेदार है। आयुर्वेद पूरे दिन में दोपहर के भोजन को सबसे भारी होने की अनुशंसा करता है। भोजन के उपरांत थोड़े देर चलना अच्छा होता है जिससे भोजन के पाचन में सहायता मिलती है। हल्की नींद का अलावा नींद को टालना चाहिये क्योंकि आयुर्वेद में दिन में सोना प्रतिबंधित है।

दोपहर का खाना निर्धारित समय पर कर ले। भोजन को धीरे-धीरे चबाकर और स्वाद लेकर बिना किसी चिंता के करे। भोजन को फाइबर युक्त बनाने के लिए सलाद, फल और सब्जियों आदि का उपयोग जरूर करे। बाजार के तेज मिर्च मसाले वाले भोजन से बचे और पौष्टिक भोजन का आनंद ले।

हमेशा भूख के अनुसार ही भोजन करे और भोजन करने के बाद अधिक पानी नहीं पिए। दिन भर में पानी की पर्याप्त मात्रा जरूर ले। इससे आपके शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और आपके शरीर से सभी विषैले पदार्थ बाहर निकल जायेंगे।

दिन भर में चाय और कॉफी के अधिक सेवन से बचे। इससे पाचन क्रिया खराब होती है और स्वास्थ पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यदि गर्मी का मौसम है तो ताजे फल या फलो का रस जरूर ले। नशीले पदार्थो के सेवन से हमेशा बचे।

शाम का समय

शाम को अपने मनोरंजन के लिए टीवी देखे या मनपसंद किताब पढ़े। आप चाहे तो सोशल मीडिया का भी उपयोग कर सकते है। सभी विद्यार्थी शाम को दो से तीन घंटे पढाई जरूर करे। शाम का भोजन हल्का होना चाहिए और भोजन सोने से दो घंटे पहले अवश्य कर ले। शाम को थोड़ी देर घूमने के लिए समय जरूर निकाले। इससे भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा और आपकी पाचन शक्ति भी अच्छी बनी रहेगी।

पर्याप्त नींद ले

देर रात तक जागने की आदत बदल ले इससे आपको सुबह जल्दी उठने में दिक्कत होगी और आप के स्वास्थ पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। कम से कम छह घंटे की नींद जरूर ले। रात को सोने से पहले चाय की जगह यदि दूध पिएंगे तो स्वास्थ के हिसाब से ठीक रहेगा। विद्यार्थी रात को देर तक पढाई करने की जगह सुबह जल्दी उठकर पढाई करने की आदत डाले। विद्यार्थियों के लिए आठ से दस घंटे की नींद बहुत जरुरी होती है।

बाहर घूमने अवश्य जाए

सप्ताहांत में परिवार के साथ घूमने जाने का प्लान अवश्य बनाये। आपका परिवार पुरे सप्ताह तक आप ही की तरह बिजी रहता है इसलिए उनका भी ध्यान रखे। इससे आपकी पुरे सप्ताह की थकान उतर जायगी और आप अधिक तरोताजा महसूस करेंगे। आप अपने दोस्तों और परिचितों के घर भी जा सकते है। यदि आपने कोई जरुरी काम करने की योजना बनाई है तो उस काम को सबसे पहले करे। इसी प्रकार आप चाहे तो अगले सप्ताह भर की कार्यो की योजना बना सकते है क्योंकि किसी भी कार्य की सफलता उसकी सही योजना पर बहुत अधिक निर्भर करती है। यदि आप अपनी दिनचर्या को इन सभी बातो के आधार पर बनाते है और सभी नियमो का दृढ संकल्प से पालन करते है तो आप निश्चित रूप से अपने सभी कार्यो को समय पर और बिना किसी असुविधा के कर पाएंगे

इन बातो के अतिरिक्त यह भी ध्यान रखे कि अपनी दिनचर्या को तनाव मुक्त रखे और सुख – दुःख, सफलता -असफलता की परवाह किये बिना ही खुश होकर अपने पुरे दिन को व्यतीत करे। भगवान का धन्यवाद करे कि उन्होंने आपको इतना अच्छा जीवन जीने का मौका दिया।

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