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भूख न लगने, पेट भरा-भरा रहने, गैस-कब्ज की सबसे बड़ी वजह,जानिए क्यों होता है ?

भूख न लगने, पेट भरा-भरा रहने, गैस-कब्ज की सबसे बड़ी वजह,जानिए क्यों होता है ?

भूख न लगने, पेट भरा-भरा रहने, गैस-कब्ज की सबसे बड़ी वजह,जानिए क्यों होता है ?

भूख न लगने, पेट भरा-भरा रहने, गैस-कब्ज की सबसे बड़ी वजह,जानिए क्यों होता है ?
भूख न लगने, पेट भरा-भरा रहने, गैस-कब्ज की सबसे बड़ी वजह,जानिए क्यों होता है ?

शरीर की अग्नि को कैसे संतुलन करने :-

अच्छी भूख लगने के लिए अग्नि संतुलित होना चाहिए | अग्नि संतुलित होती है तो भोजन के बाद हल्का महसूस होता है , ऊर्जा मे बढ़ोतरी होती है | यदि मनुष्य के शरीर की अग्नि संतुलित नहीं है तो बहोत सारी समस्या का सामना करना पड़ता है |

अग्नि इस पाचन क्रिया को संपन्न करने के लिए पेट, लीवर में कई तरह के पाचक रसों को उत्पन्न करती है, इन पाचक रसों की मदद से सभी प्रकार के पदार्थ (ठोस, द्रव्य, आधे ठोस इत्यादि) धातुओं और मलों में बदल जाते हैं,इस प्रक्रिया में वात और भोजन रस का वहन करने वाले स्रोतों का भी सहयोग मिलती  है लेकिन अग्नि का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है | इस अग्नि को ही जठराग्नि कहा जाता है |

यदि शरीर में अग्नि ना हो तो आपके द्वारा किया गया भोजन नहीं पचेगा और शरीर में धातुएं भी नहीं बनेंगी | आयुर्वेद में बताया गया है कि शरीर की जठराग्नि ख़त्म हो जाए तो मनुष्य की मृत्यु हो जाती है | शरीर का तापमान भी इसी अग्नि द्वारा ही निर्धारित होता है | यही वजह है कि मृत्यु के कुछ समय बाद ही शरीर एकदम ठंडा हो जाता है |

अग्नि के प्रकार :-

आयुर्वेद के अनुसार अग्नि  13 प्रकार की होती है |जिसे  उनके काम और शरीर में उनके स्थान के आधार पर बांटा गया है| इन सबमें जठराग्नि को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है |

अग्नि के मुख्य प्रकार

1- एक जठराग्नि

2- पांच भूताग्नियाँ :  भौमग्नि , आप्याग्नि , आग्नेयाग्नि , वायव्याग्नि , आकाशाग्नी

3- सात धात्वाग्नियाँ : रसाग्नि , रक्ताग्नि , मान्साग्नि , मेदोग्नि , अस्थ्यग्नि , मज्जाग्नि , शुक्राग्नि

जठराग्नि :-

पाचक अग्नि को ही जठराग्नि कहा जाता है और बाकी सभी अग्नियों की तुलना में यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण  होता है | यह मुख्य रुप से पेट और आंतों के बीच नाभि के आस- पास रहती है | यह अग्नि अपनी गर्मी से बहुत जल्दी ही भोजन को पचाती है | हम जो कुछ भी खाते हैं उसे यह अग्नि छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़कर उन्हें शरीर के अनुरूप बना देती है |

जठराग्नि बाकी सभी अग्नियों को सक्रिय बनाये रखने में मदद करती है | हमारे द्वारा खाए हुए भोजन में सबसे पहला परिवर्तन जठराग्नि करती है | उसके बाद वो आगे जाकर अन्य रूपों में बदलता जाती  है | इन सभी कामों को करने के लिए अग्नि का संतुलित अवस्था में होना बहुत ज़रुरी होता  है | जठराग्नि की चार अवस्थाएं हो सकती हैं |

1. विशमा अग्नि (Vishama Agni)- इसमें वात हावी होता है। इससे पाचन परिवर्तनशील और अस्थिर हो जाता है, और हमेशा बदलता रहता है। जिससे अग्नि कभी तेज तो कभी धीमी और कमजोर होगी। कई बार इससे अपच की समस्या हो सकती है।

2. तीक्ष्ण अग्नि (Tikshna Agni)- इसमें पित्त हावी होता है। एक बहुत तीव्र और त्वरित पाचन क्षमता की ओर जाता है, जो बहुत मजबूत हो सकता है। इससे शरीर के उत्तकों में जलन और कमजोरी हो सकती है।

3. मंदा अग्नि (Manda Agni)- इसमें कफ हावी है। इससे रोग होने की संभावना रहती है, क्योंकि पाचन बहुत धीमा और सुस्त होता है। मंडा अग्नि वाले लोगों को अक्सर अपच का अनुभव होगा।

4. समा अग्नि (Sama Agni)- इसमें तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) का संतुलित प्रभाव होता है। इससे जठराग्नि का पूरा कामकाज होता है और इसे इसकी आदर्श अवस्था माना जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार अग्नि :-

आयुर्वेद के अनुसार शरीर के पाचन क्रिया को अग्नि मन जाता है, स्वास्थ्य अच्छा रहने केलिए जरूरी है की खाए हुए भोजन का पचना | खाए हुए भोजन को अवशोषित करना और समवेसीत करना ,यह काम शरीर मे अग्नि के द्वारा होता है |

अग्नि भोजन को ऊर्जा मे बदलती है जो शरीर के सभी महत्वपूर्ण कार्य के लिए जिम्मेदार है |

अग्नि संतुलित होने से मनुष्य को अच्छी भूख लगती है ,व्यक्ति ऊर्जावान महसूस करता है ,भोजन करने के बाद व्यक्ति को पेट मे हल्कापन महसूस होता है| यदि व्यक्ति के शरीर मे अग्नि सुचारु रूप से काम नहीं कर रहा है तो मनुष्य को बहोत सारी प्रेसनियों का सामना करना पड़ता है |अग्नि सही रूप से काम न करने पे मनुष्य को भूख न लगना , भारी-भारी महसूस होना ,ऊर्जा का काम होना और व्यक्ति सुस्त महसूस  करने लगता है|

मानव शरीर मे अग्नि के क्या-क्या कार्य है :-

मानव शरीर मे अग्नि का काम है ,व्यक्ति के द्वरा खाये गए भोजन को पचाना और ऊर्जा को अवशोषित करना ,शरीर के तापमान को बनाए रखना ,पोषण का संचार करना,मानसिक शांति प्रदान करना,स्वास्थ मे चमक पेड़ करना और जीवंशक्ति प्रदान करना |

अगर मानव शरीर की अग्नि बाधित होती है ,तो शरीर मे क्या-क्या लक्षण दिखता है-

पेट मे गैस या एसिडिटी का बनना :- यदि आपके पेट मे हमेसा गैस ,एसिडिटी ,पेट का फूलना ,हिटबर्न , जेसी समस्या रहती है तो इसका मतलब है |आपका अग्नि सही तरह से काम नहीं कर रहा है |

कब्ज या दस्त का होना :- यदि आपका  हेल्दी डाइट और एक्टिव लाइफस्टाइल होने के बाद भी ,आपके पेट मे गेस ,दस्त,कब्ज और एसिडिटी की समस्या होती है तो सतर्क हो जाना चाहिए |

भूख का काम या जादा लगना :- यदि आप अपने खाने-पीने का अच्छे से ध्यान रखने के बाद आपको बहोत जादा भूख लगता है या बहोत काम भूख लगता है | यह संकेत है की आपका अग्नि संतुलित नहीं है , इसे तुरंत सुधार की जरूरत है |

अग्नि को संतुलित करने के लिए आपको क्या करना चाहिए :-

यदि आपको बताए गए लक्षणो मे से आपको महसूस होता है तो आप अपने स्वास्थ का ध्यान दें |बहोत सारी बीमारियाँ पेट के खराब होने से ही होती है , इसलिए अपने संतुलित आहार को अपने जीवन सेली मे लाना चाहिए |

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