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कोरोना फ़ैलाने के बाद चीन का नकली सूरज दुनिया के लिए संकठ

कोरोना फ़ैलाने के बाद चीन का नकली सूरज दुनिया के लिए संकठ : चीन को नकली और फेक प्रोडक्ट बनाने में महारत हांसिल हैं, लेकिन इस बार तो उसने सारी लिमिट्स ही क्रॉस कर दी इस बार चीन ने किसी खिलौने या गन का नकली मॉडल नहीं बनाया बल्कि इस बार तो उसने नकली सूरज को ही बनाने का दावा कर दिया है, लेकिन चीन के किसी भी प्रोडक्ट की कोई भी गारंटी नहीं होती ऐसा ही कुछ यहाँ भी हो रहा है और चीन का बनाया ये सूरज नीचे गिर रहा है आईये आपको बताते हैं इसके पीछे की पूरी बात असल में क्या है|

कोरोना फ़ैलाने के बाद चीन का नकली सूरज दुनिया के लिए संकठ
कोरोना फ़ैलाने के बाद चीन का नकली सूरज दुनिया के लिए संकठ

ऑक्टूबर 2020 में जब पूरी दुनिया चीन के द्वारा फैलाये गए कोरोना के कहर को झेल रही थी तभी चीन की आसमान में तीन तीन सूरज चमकते हुए नजर आये थे, ये देख कर पूरी दुनिया को लगा की शायद चीन ने नकली सूरज बनाने का अपना दावा सच कर दिखाया है, लेकिन यह केवल 1 खगोलीय घटना थी जिस से लोगों को यकीन हो गया था चीन अपना सूरज बनाने में सफल नहीं हुआ, लेकिन चीन कहा पीछे रहने वाला था दिसंबर तक उसने अपने दावे को सच कर ही दिखाया जी हाँ चीन ने आर्टिफिशल सूरज बना लिया और इस तरह उसने अपना मज़ाक बनाने वालों को करारा जवाब भी दे डाला और चीन का बनाया गया ये सूरज असली सूरज से भी 10 गुना ज़्यादा पॉवर फूल बताया जा रहा है और खास बात ये की ये सूरज ना कभी अस्त होगा ना कभी उदय और तो और सर्दी गर्मी बारिश का इसके ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, मतलब इस सूरज को बादल कभी नहीं ढँक पाएंगे| अब आप अगर ये सोच रहे हैं की चीन इस सूरज को आसमान में स्थापित करेगा तो ऐसा नहीं है दरअसल ये सूरज एक नुक्लियर रिएक्टर है जिसमे बड़ी मात्रा में ऊर्जा जेनरेट होती है, आपको याद ही होगा कुछ दिन पहले ही चीन में बिजली की काफी कमी हो गयी थी यहाँ तक की चीन की कई फैक्ट्री भी बिजली की कमी से बंद पड़ गयी थी, चीन एक बड़ा देश है इस लिए उसकी जरूरतें भी ज्यादा हैं ऐसे में ऊर्जा की समस्या बहुत बड़ी परेशानी बनकर उभरी है और इसी समस्या से निपटने के लिए चीन आर्टिफीसियल सूरज बनाने कि तैयारी कर रहा था|

कोरोना फ़ैलाने के बाद चीन का नकली सूरज दुनिया के लिए संकठ
कोरोना फ़ैलाने के बाद चीन का नकली सूरज दुनिया के लिए संकठ

चीन के साइंटिस्ट का अनुमान है की इस से उन्हें बीजिंग में ही ग्रीन एनर्जी का बड़ा सोर्स मिल जायेगा, जिस से पॉलुशन में कमी आएगी साथ ही जीवाश्म ईंधन पर उनकी निर्भरता काम हो जाएगी और चीन ऊर्जा की फिल्ड में आत्म निर्भर बन जायेगा इस टेक्नोलॉजी को EAST नाम दिया गया है इसका मतलब एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकॉन्डेटोर टोकोमार्क, एक बहूत बड़ी मशीन है चीन के आर्टिफीसियल सूरज का व्यास 8 मीटर है और उसका वजन 60 टन इसमें नुक्लियर फ्यूजन की मदद से गर्मी पैदा की जाती है, वैसे इस मशीन को 1 दिन के लिए चालू करने के लिए 15 हजार डॉलर यानि की 11 लाख का खर्च आता है लेकिन चीन के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं, इस मशीन ने एक नया कीर्तिमान बनाया है इसने 100 सेकंड तक 12 करोड़ डिग्री सेल्सियस टेम्प्रेचर को पैदा कर के वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया है और ये तापमान सूरज के तापमान से भी दस गुना ज्यादा है, इससे पहले कोई भी देश इतना अधिक तापमान पैदा नहीं कर पाया था लेकिन चीन ने ये कारनामा सबसे पहले कर दिखाया है, इस मशीन की इतनी ज्यादा तापमान को देखने के बाद ही इसको आर्टिफीसियल सूरज का नाम दिया गया, चीन ने इस आर्क रिएक्टर को साउथ वेस्ट सिचवान में स्थापित किया है, चीन की मीडिया में इस सूरज के बारे में काफी न्यूज़ वायरल हो रही है एसे ही एक न्यूज़ के अनुशार इस रिएक्टर में गर्म प्लाज्मा को मिलाने के लिए ताकतवर मेग्नेटिक फिल्ड का यूज़ किया गया है और इसका तापमान 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है आयसे दावे किये जा रहे हैं|

चीन 2006 से ही छोटे न्युक्लियर रिएक्टर पर काम कर रहा था लेकिन उसे सफलता अब जा कर मिली है अब चीन के साइंटिस्ट इस टेम्प्रेचर को ज्यादा समय तक स्थिर बनाये रखने की कोशिश में जुटे हैं यह प्रोसेस तारों और सूर्य में होने वाली प्रोसेस को बार बार रिपीट करने जैसी ही है, अच्छा ऐसा नहीं है की केवल चीन ही इस परियोजना पर काम कर रहा है फ्रांस में भी दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु संयंत्र अनुसन्धान परियोजना चल रही है लेकिन इसके 2025 तक पूरी होने की संभावना है, इसके आलावा दच्छिण कोरिया ने भी अपना आर्टिफीसियल सूरज कोरिया सुपरकंडक्ट टोकोमार्क एडवांस रिसर्च बना लिया है और यह आर्टिफिशल सूरज भी 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान 20 सेकंड तक स्थिर रखने में सफल रहा, लेकिन बाजी तो यहाँ भी चीन ने ही मारी है क्युकी उसका सूरज इनसे पहले बना और ज्यादा तापमान भी जेनरेट कर रहा है चीन के इस न्यूक्लियर रिएक्टर को पहली बार 2020 में स्टार्ट किया गया था तब उसने 100 सेकंड के लिए 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान जेनरेट किया था लेकिन इस बार चीन के इस रिएक्टर ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया इस बार उसने 12 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान छू लिया लेकिन क्या इस रिएक्टर से केवल फायदे ही हैं क्या इस तरह आर्टिफीसियल सूरज बना कर चीन प्रकृति के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहा, कही चीन का ये सूरज दुनिया को फिर किसी नयी मुसीबत में ना डाल दे क्योंकी चीन के इरादे कभी नेक नहीं रहे और कही ये उसकी नयी चाल साबित न हो नुक्लिएर फ्यूजन से जो बेस निकलेगा वो दुनिया के लिए एक नयी समस्या बन सकता है इसका इंसानो और दूसरी जानवरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा अभी इस पर रिसर्च की जा रही है लेकिन जहाँ तक हमें लगता है हमें इसके फायदे कम नुकसान जायदा हो सकते हैं क्यों की प्रकृति के साथ छेड़ छाड़ के हमेशा भयानक परिणाम भुगतने ही पड़ते हैं वैसे चीन का यह दावा है की उनका ये सूरज बिल्कुल असली सूरज की तरह साफ स्वच्छ ऊर्जा देगा| इस नुक्लेअर रिएक्टर में नुक्लेअर फ्यूजन के प्रॉसेस को कण्ट्रोल किया जा सकता है जिससे अपनी जरुरत के हिसाब से ऊर्जा का उत्पादन संभव हो पायेगा|

आपने ये तो जान लिया की चीन का आर्टिफीसियल सूरज न्युक्लेअर फ्यूजन पर काम करता है पर क्या आपको पता है न्युक्लेअर फ्यूजन आखिर होता क्या है दरअसल फ्यूजन ही वो प्रॉसेस है जिसकी वजह से सूरज और दूसरे सभी सितारे ऊर्जा उत्पन्न करते हैं जब हलके पार्टिकल्स पर बहुत ज्यादा प्रेसर पड़ता है और ऐसे में जब बहुत अधिक तापमान पर ये एक दूसरे से ये मिलते हैं तो हैवी पार्टिकल बनते हैं और इस प्रोसेस में काफी सारी ऊर्जा भी पैदा होती है, तारों में लाइट पार्टिकल हाइड्रोजन होता है जो फ्यूज हो कर हैवी वेट पार्टिकल हीलियम बनता है और अगर हम किसी तरह इस प्रोसेस को पृथ्वी पर संभव कर पाए तो जान लीजिये की हम एक तरह से सूरज को धरती पर ले आएंगे और सबसे बड़ी बात तो यह है की न्युक्लेअर फ्यूजन में कोई भी रेडिओ एक्टिव वेस्टर्न नहीं निकलता इसी लिए दुर्घटना होने के चांस भी काफी काम हो जाते हैं, सूरज जितनी गर्मी पैदा करने के लिए हाइड्रोजन गैस को 5000 डिग्री सेल्सियस तापमान तक गर्म किया जाता है इसके बाद उस तापमान को 102 सेकंड तक स्थिर रखा जाता है यहां आपको पाता होना चाहिए की असली सूरज का तापमान 50 लाख डिग्री सेल्सियस है जबकि नकली सूरज का तापमान 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस यानी की असली सूरज से 10 गुना से भी ज्यादा मतलब अगर चीन का दवा सही है तो चीन अपने नकली सूरज से असली सूरज से भी ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न कर सकेगा| चीन के रिएक्टर में ये पूरी प्रोसेस बिलकुल उसी प्रकार होती है जिस तरह असली सूरज की चीन ने पुरे 14 साल की मेहनत के बाद इस सफलता का स्वाद चखा है और चीन को ये सफलता उस वक़्त मिली जब पूरी दुनिया ऊर्जा की भयानक संकट का सामना कर रही है ऐसे में चीन का बनाया नकली सूरज उसके लिए काफी फायदे मंद साबित हो सकता है और अगर ऐसा हुआ तो कोई सक नहीं चीन की इकॉनमी अमेरिका की भी पछाड़ देगी जो की अमेरिका में अभी तक ऐसा कोई सफल प्रयोग नहीं किया जा सका है और अमेरिका अभी ऊर्जा संकट से पूरी तरह घिरा हुआ है, इसके साथ ही वैज्ञानिको का ये भी मानना है की सूरज की रौशनी पहले से धीरे धीरे कम होती जा रही है क्यों की सूरज भी एक तारा ही है और हर तारे की तरह एक दिन उसे भी टूटना ही है लेकिन हाँ उसके लिए समय बहुत दूर है लेकिन चीन की ये सूरज दुनिया पर आने वाली संकट से बचा सकता है|

कोरोना फ़ैलाने के बाद चीन का नकली सूरज दुनिया के लिए संकठ||||

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