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ताजमहल की खूबसूरती और रहस्य

ताजमहल की खूबसूरती और रहस्य : ताजमहल जितनी खूबसूरत है उतनी ही रहस्यमई भी क्योंकि ताजमहल जैसी कोई इमारत पूरी दुनिया में कहीं नहीं है ताजमहल को यूं ही सात या आठ अजूबों में शुमार नहीं किया गया इसकी नायाब खूबसूरती के चर्चे पूरे विश्व में हैं और सोचने वाली बात यह है इस रहस्य्मयी इमारत को इस बेहद खूबसूरत इमारत को उस कालखण्ड में बिना मॉडर्न टेक्नोलॉजी के नदी किनारे कैसे बना दिया गया ऐसे कौन से महान स्किलफुल इंजीनियर, वर्कर, उस जमाने में मौजूद थे जिन्होंने बिना टेक्नोलॉजी के बिना एडवांस मशीनरी के बिना कंस्ट्रक्शन डिजाइन के बिना किसी लेआउट के इतनी खतरनाक इमारत बना डाली क्या ताजमहल का कोई नक्शा बनाया गया था क्या उसके  नक्शे अभी भी कहीं  सेफ रखे हुए हैं क्या उस नक्शे को मिटा दिया गया वो जो कहानी सुनाई जाती है की ताजमहल बनाने वालों के हाथ काट दिए गए थे इसके पीछे क्या राज है जब आपके घर में कोई बेहतर काम करता है तो क्या आप उसे बक्शीश देते हैं या उसे सजा देते हैं खुद सोच कर देखिए, एक और वाक्य है जिसे काफी तूल दिया गया है कि ताजमहल एक शिव मंदिर था शिवमालएं था तो क्या इसमें भी कोई सच्चाई है, आज हम  इन  रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश करेंगे और इस नायाब इमारत की  रहस्य को जानने की कोशिश करेंगे जिसके पीछे कई कंट्रोवर्सीज कायम है आज भी

ताजमहल की खूबसूरती और रहस्य
ताजमहल की खूबसूरती और रहस्य

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में सफेद संगमरमर की बनी इमारत ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में शुमार है इसे मोहब्बत की निशानी के नाम से भी जाना जाता है, ताजमहल उस समय की बेजोड़ कारीगरी और कलाकृति का एक नमूना है जो अपनी खूबसूरती के लिए आज भी इतना मशहूर है जितना कि उस कालखंड में था जब इसे बनाया गया था, ताजमहल की खूबसूरती का दीदार करने के लिए हजारों पर्यटक देश और विदेश से दिन प्रतिदिन आते हैं लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि उस वक्त टेक्नोलॉजी इतनी डिवेलप नहीं हुई थी कंस्ट्रक्शन के लिए मशीनरी और एडवांस मशीनरी उपलब्ध नहीं थी तो इसे एक नदी के किनारे जमुना के किनारे  रेतीली जमीन पर कैसे खड़ा कर दिया गया और आज तक खड़ा है कई सदियों बाद भी,

ताजमहल की खूबसूरती और रहस्य
ताजमहल की खूबसूरती और रहस्य

देखिये ताजमहल के निर्माण में 28 प्रकार के पत्थरों का उपयोग किया गया है जिन पत्थरों को भारत के राजस्थान के अलावा अफगानिस्तान, बगदाद, तिब्बत, रूस, मिस्र, ईरान आदि जैसे कई देशों से मंगवाया गया था अभी ये भी सोचने वाली बात है आज के कालखंड में जहां हमें सामानों को एक द्वीप से दूसरे द्वीप एक देश से दूसरे देश  ले जाना पड़े तो काफी महंगा पड़ता है काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है वहां एक इंडिविजुअल एक राजा ने  पूरे विश्व के सबसे बेहतरीन पत्थर को कैसे भारत में इंपोर्ट किया होगा क्या समस्याएं आई होंगी उन्हें, कितना खर्च लगा होगा क्या आज की तारीख में ताजमहल की निर्माण का जो बजट है उसे निकाला जा सकता है यह एक बड़ा सवाल है अब जो 28 प्रकार के पत्थरों का उपयोग किया गया था उसकी वजह से ताजमहल तीन तरह से अपना रंग बदलता है वह कौन इंजीनियर था उस कालखंड का ऐसा वैज्ञानिक जिसने इस पर रिसर्च किया कि 28 प्रकार के पत्थरों को चुनकर अगर हम ताजमहल बनाएंगे तो वह तीन बार रंग चेंज करेगा तीन अलग-अलग रंग चेंज कर सकता है यह भी एक बहुत बड़ी बात है, सुबह गुलाबी दिखता है, आपको बता दें ताजमहल दिन में सफेद और पूर्णिमा की रात को जब चांद की रोशनी इसपे पड़ती है तब यह सुनहरा हो जाता है मतलब उस वक्त का जो साइंस था वह अलग ही लेवल पर था लेकिन वह साइंस फिर कहां चला गया क्यों ताजमहल जैसी दूसरी मारते नहीं खाड़ी की जा सकीं कौन थे वह कारीगर जिनके हाथ काट दिए गए थे क्या उनके साथ में यह आर्ट हमेशा-हमेशा के लिए खत्म हो गया क्या दुनिया में और भी ऐसी इमारत हैं जो रंग बदलती है बिल्कुल ताजमहल की तरह यह एक बड़ा सवाल है और एक रिसर्च का विषय है ताजमहल की पूरी नीव एक ऐसी लकड़ी द्वारा बनाई गई है जिस लकड़ी को मजबूती के लिए नमी की आवश्यकता होती है यह इंजीनियरिंग साइंस उस वक्त की है जिस जमाने में शाहजहां के इंजीनियर जिन्होंने देखा कि इसे नदी के किनारे बनाना है नीव लकड़ी की बनाइए गई और ऐसी वैसी लकड़ी की नहीं ऐसी लकड़ी की जो पानी सोख कर स्ट्रांग होता है आमतौर पर क्या देखने को मिलता है पानी पड़ता है और लकड़ी खराब हो जाती है लेकिन ऐसी लकड़ी का चुनाव किया गया जो पानी सोख करके स्ट्रांग होती है सोचिए जरा कितना साइंस कितना दिमाग लगा है इसके पीछे इस लकड़ी पर नमी जितनी अधिक पड़ती है जो कि ताजमहल के नीचे है यह लकड़ी उतनी मजबूत होती जाती है इसी लकड़ी की वजह से ताजमहल का निर्माण यमुना नदी के किनारे हो पाया है,

ताजमहल के चारों ओर मीनारें बनाई गई है जो किसी भी आपदा के समय यह मीनारें ताजमहल को सन्तुलन सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं सोचिए कंस्ट्रक्शन का इतना बेहतरीन नमूना और कहां देखने को मिलेगा आपको, इन मीनारों का निर्माण कार्य ऐसा किया गया है की इनका हल्का सा झुकाव बाहर की तरफ है ताकि किसी भी आपदा के समय यह मीनारें अगर झुकी अगर ढहीं तो बाहर कि तरफ गिरे ताजमहल को इससे कोई नुकसान ना पहुंचे इतनी स्ट्रांग प्लानिंग जरा सोच कर देखिए उस कालखंड में बहुत ही अचंभा आश्चर्य होता है उस कालखंड में कैसे संभव है| कुछ इतिहास कारों का मानना है की ताजमहल को शाहजहाँ ने अपनी बेग़म मुमताज़ की आखरी इक्छा को पूरा करने के लिए बनाया था, बेग़म मुमताज़ ने मरते वक़्त यह अपनी आखरी इक्छा जाहिर करी थी की उनके लिए एक मक़बरा बनाया जाए जिसमे उन्हें दफनाया जाये और वही पर उनकी मज़ार भी हो शाहजहां ने सन 1630 में ताजमहल के निर्माण का कार्य शुरू किया जिसके लिए 37 कारीगरों को देश और विदेश से बुलाया गया जिनकी देख-रेख में लगभग 22,000 मजदूरों ने रात दिन मेहनत कर के तक़रीबन 22 सालों में ताजमहल के निर्माण का कार्य पूरा किया|

जब ताजमहल का निर्माण कार्य चल रहा था तब शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण होने के बाद सभी मजदूरों के हाँथ काटने का हुक्कम दे दिया था ये इस लिए किया गया था ताकि इस जैसी इमारत दुनिया में कभी कहीं दूसरा ना बन सके इस हुक्कम की वजह से गुस्साए मजदूरों ने ताजमहल बनाते समय ताजमहल के अंदर कुछ कमियां छोड़ दी थी जो आज भी रहस्य बानी हुई है ऐसे दावे किये जाते हैं कितनी सच्चाई है कोई नहीं जानता लेकिन ये एक लोक कथा के रूप में प्रचलित बात है क्योकि उन 37 कारीगरों के जिनके हाँथ में पूरा परफॉर्म था पूरा प्रोजेक्ट था पूरा प्लान था ताजमहल को बनाने का उनके हाँथ काटने को ले कर जब मजदुर गुस्साए तो उन्होंने कुछ खामियाँ छोड़ दी थीं ताजमहल में कौन सी हैं वे खामियां क्या वाकई में खामिया हैं या सिर्फ ये हउवा बनाया जा रहा है आइये जानते हैं,

ताजमहल की खूबसूरती और रहस्य
ताजमहल की खूबसूरती और रहस्य

कुछ दावे तो ऐसे भी किये जाते हैं की ताजमहल का निर्माण 50 कुओं के ऊपर किया गया है ये भी एक लोक कथा के रूप में प्रचलित हो चूका है पर वे 50 कुएं कहा है कोई नहीं जानता, कुछ इतिहास कारों का मानना है की ताजमहल के नीचे मुमताज़ का मक़बरा नहीं बल्कि ताजमहल का निर्माण शिव जी की एक मंदिर तेजो महलाये या फिर राजपुतना महल के ऊपर हुआ है ये भी एक तरह से  बोला जाता है इसकी भी कोई पुख्ता साबुत आज तक किसि ने नहीं दिया, आज की राजनीती में जो चीजें चल रहीं है ये भी काफी तूल पकड़ रही है बात की ताजमहल तेजो महालाये के ऊपर बानी है कितनी सच्चाई है इस बात में कोई नहीं जनता लेकिन लोग दावे करते हैं और अलग अलग क़िस्म के तर्क देते हैं|

Purushottam Nagesh Oak भारत के एक ऐतिहासिक संशोधनवादी थे, उनका कहना है की सारे सबूत जो थे बचे हुए हिन्दू अलंकरण चिन्हों को हटा कर ताजमहल के नीचे कमरों में बंद कर दिया गया है और उसके ऊपर ताजमहल का निर्माण कर दिया गया है वो कमरे आज भी वही पर मौजूद हैं उनके अंदर जाने की इज़ाज़द किसी को भी नहीं है वह सभी कमरे ताजमहल के तेजोमहलाये और राजपुताना महल होने के साबुत अपने अंदर समेटे हुए हैं एसा कहा जाता है, ताजमहल को लेकर ये कहा जाता है की ताजमहल के तहखानों में बहुत सारे राज दफ़न हैं अगर ये तहखाने खोल दिए गए तो वहां से ये रहस्य सामने आ जायेंगे की क्या यह मंदिर था पुराना या जो कमियां थी जो मजदूरों ने डाली थी वह कहा पर डाली थीं पता चल जायेगा लेकिन इन तहखानों को कभी खोला नहीं जाता| 

दूसरी और ताजमहल को हिन्दू मंदिर होने की दावा करने वाली ऐसी बहुत सी पुस्तकें हैं जिन्हे इतिहास कारों ने लिखा है जो इस बात की ओर इशारा करती हैं की ताजमहल एक हिन्दू मंदिर के ऊपर बनाया गया था जिसका नाम पहले तेजोमहालय हुआ करता था ये भी दावा किया जाता है की इसका निर्माण जयपुर के राजा मानसिंह प्रथम ने कराया था जिसे शाहजहां ने तोड़ कर बाद में ताजमहल बना दिया कुछ लोगों का ये भी है तर्क की मुस्लिमों ने जितनी भी इमारतों का निर्माण कराया उनके साथ कभी भी महल शब्द का प्रयोग नहीं किया ताज और महल दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं इस वजह से इस बात की पुष्टि होती है की ताजमहल का निर्माण हिन्दू मंदिर के ऊपर हुआ है ऐसा लोगों का कहना है बातें तो बहुत सी हैं कई लोग ये भी सवाल उठाते हैं की ताजमहल में लगी संगमरमर की जो जालियां हैं वह 108 कलश चित्रित हैं जिस तरिके से हिन्दुओ में होता है पवित्र माना जाता है मुस्लिमो की पवित्र संख्या तो 786 होती है लेकिन जो संगमरमर की जालियां हैं वह 108 कलश को चित्रित करती हैं इसके पीछे भी सवाल उठाये जाते हैं ताजमहल पर सभी इतिहास कारों और खोज कर्ताओं के अपने अपने मत हैं कोई कहता है ताजमहल मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज़ की अंतिम इच्छा की पूर्ति के लिए बनाया गया था और यही पर उनका मक़बरा है कुछ लोग ये कहते है की ये एक हिन्दू मंदिर तेजोमहालय या फिर राजपुताना महल है जिसमे कुछ बदलाव कर के शाहजहां ने इसे ताजमहल का नाम दिया लेकिन ऐसे बहुत से रहष्य हैं जो कभी उजागर नहीं हो सकते जैसे एक रहष्य ये है की ताजमहल का निर्माण जितना जमीन के ऊपर हुआ है उतना ही जमीन के अंदर भी हुआ है जिसमे ख़ुफ़िया दरवाजा भी है ऐसा माना जाता है जिसे शाहजहां ने ईटों से बंद करा दिया था जहा पर किसी को भी आने की अनुमति नहीं थी इतिहास में जितने भी किलों का निर्माण किया गया उनमे दुश्मनो से बचने के लिए उनमे बहार जाने का ख़ुफ़िया दरवाजा बनाया गया था ताजमहल में भी ऐसा ख़ुफ़िया दरवाजा होने की बात कही जा रही है लेकिन आज तक इसका कोई साबुत सार्वजनिक रूप से बताया नहीं गया है और ना ही उन तहखानों तक पहुंचने की किसी को भी अनुमति है ऐसे में ये सारे रहस्य ताजमहल के तहखाने में कैद हैं असलियत क्या है अभी तक कोई नहीं बता पाया है इतिहास की माने तो यह एक मुग़ल सल्तनत द्वारा बनाया गया महल है जिसको बनाने की क्या तकनीक थी यह भी किसी को नहीं पता यह भी एक राज है|

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