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बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी – पंडित धीरेंद्र शास्त्री उम्र (Age) 26 साल लोग इन्हें ‘बागेश्वर सरकार‘ के नाम से भी जानते है। इन्हे लोग बागेश्वर धाम में लगने वाले दरबार में चमत्कार और भविष्यवाणियों के लिए जानते है जो सच साबित होती है। सरकार ‘बागेश्वर बालाजी महाराज’ को कहा जाता है, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने बताया की “न तो हम अपने आप को सरकार मानते है और न हम सरकार है। सरकार सिर्फ एक ही है जो है बागेश्वर बालाजी सरकार”

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी

परिचय

बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी

बागेश्वर धाम सरकार धीरेन्द्र शास्त्री जी का जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गढ़ागंज गाँव में हुआ था। वे एक बहुत ही गरीब परिवार से संबंध रखते हैं। खुद धीरेंद्र शस्त्री अपने के एक दरबार में कहते हैं कि बचपन में उनके पास कभी-कभार एक वक्त का भोजन भी नहीं मिलता था। हमारे पिताजी गरीब थे। वे दान दक्षिणा लेकर ही हमारा भरण पोषण करते थे। एक दिन हमने उनसे कहा की हम भी पढ़ना लिखना चाहते हैं। वृंदावन में जाकर कर्मकांड पढ़ना चाहते हैं। उनके पिताजी के पास उस वक्त 1000 रुपए नहीं थे। उन्होंने गांव में कई लोगों से उधार रुपए मांगे कि मेरे बेटा पढ़ना चाहता है लेकिन किसी ने उधार नहीं दिया। क्योंकि सभी जानते थे कि यह चुका नहीं पाएगा। हम तब वृंदावन नहीं जा पाए।

धीरेंद्रजी के पिता का नाम राम करपाल गर्ग और मां का नाम सरोज गर्ग बताया जाता है। उनका एक छोटा भाई और एक बहन है। उनके दादाजी एक सिद्ध संत थे जिनका नाम भगवानदास गर्ग था। वह निर्मोही अखाड़े से जुड़े हुए थे। वे भी दरबार लगाते ते। पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री अपने दादाजी को ही अपना गुरु मानते थे। उन्होंने ही उन्हें रामायण, और भागवत गीता का अध्ययन करना सिखाया था।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री आजकल अपनी रामकथा और दिव्य दरबार को लेकर बहुत चर्चित हो रहे हैं। कुछ-एक विवादित बयानों को लेकर भी उनकी चर्चा हो रही है। कहते हैं कि वे उनके दादाजी की तरह छतरपुर के एक गांव गड़ा में बालाजी हनुमान मंदिर के पास ‘दिव्य दरबार’ लगाने लगे। उनके लोग इस दरबार के ‍वीडियो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते थे। धीरे-धीरे वे सोशल मीडिया के माध्यम से वे लोकप्रिय हो गए।

दिव्य दरबार

बताया जा रहा है कि उनके दरबार में पहले सैंकड़ों लोग अपनी समस्या लेकर आते थे। उन सैंकड़ों लोगों में से पंडित धीरेंद्र शास्त्री जी किसी का भी नाम लेकर उन्हें बुलाते थे और वह व्यक्ति जब तक उनके पास पहुंचता तब तक शास्त्रीजी एक पर्चे पर उस व्यक्ति के नाम पते सहित उसकी समस्या लिख लेते और उसी में उसका समाधान भी लिख लेते। लोग आश्‍चर्य करने लगे की यह व्यक्ति किस तरह दूर दूर से आए अनजान लोगों को उनके नाम से बुला लेते है और कहता है कि आओ तुम्हारी अर्जी लग गई। धीरेंद्र शास्त्री यही नहीं लोगों को यह भी बता देते हैं कि उनकी समस्या क्या है, कितनी है और कब से है। उनके पिता का नाम क्या है और बेटे का नाम क्या है। कई मीडिया चैनल वालों ने इस बात की पड़ताल की लेकिन वह यह रहस्य नहीं जान पाए कि आखिर यह व्यक्ति कैसे लोगों के मन की बात जान लेता है।

छोटे से गांव गड़ा में जब सैंकड़ों से हजारों और हजारों से लाखों लोग आने लगे तो धीरेंद्र शास्त्री जी ने दूसरे शहरों में जाकर ‘दिव्य दरबार’ लगाना प्रारंभ कर दिया। इस पर उनका कहना है कि लाखों लोगों का पर्चा बनाना संभव नहीं इसीलिए अब हम खुद ही लोगों के पास जाकर उनके शहर में दरबार लगा लेते हैं ताकि लोगों को सुविधा हो। हमारा यह दरबार नि:शुल्क है। इसकी में किसी भी तरह से शुल्क नहीं लिया जाता है। मंदिर में या रामकथा से हमें जो भी पैसा मिलता है हम उसे गरीब की बेटियों की शिक्षा और शादी में खर्च करते हैं।

रामकथा

हाल ही में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्रीजी ब्रिटेन गए हैं जहां उन्होंने ब्रिटिश सांसदों और वहां के भारतीय समुदाय के बीच रामकथा का वाचन किया और प्रवचन दिया है। अब उनकी लोकप्रियता देश में ही नहीं विदेश में भी फैल गई है।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जब धीरे-धीरे लोकप्रिय होने लगे तो अब वे रामकथा भी कहने लगे हैं। जगह जगह जाकर वे रामकथा कहते हैं और लोगों को हनुमानजी की भक्ति करने के लिए प्रेरित करते हैं। रामकथा के दौरान ही वे कुछ ऐसे भी बोल जाते थे कि जिससे विवाद उत्पन्न हो जाता है। हाल ही में उन्होंने रामनवमी के जुलूस पर पत्‍थर फेंके जाने वाली घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए हिन्दुओं को कहा कि जाग जाओ और एक हो जाओ अगर तुम अभी नहीं जागे तो यह तुम्हें अपने गांव से भागना पड़ेगा। इसलिए निवेदन है कि सब हिंदू एक हो जाओ और पत्थर मारने वालों के घर पर बुलडोजर चलवाओ।

शैक्षिक योग्यता

पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने बड़ी मुश्‍किल हालातों में 8वीं तक पढ़ाई अपने गांव में की। इसके बाद की पढ़ाई के लिए वे 5 किलोमीटर पैदल चलकर गंज में जाते थे। वहां से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की और फिर बाद में बीए प्राइवेट किया। लेकिन बाद में हनुमानजी और उनके स्वर्गीय दादाजी की ऐसी कृपा हुई की उन्हें दिव्य अनुभूति का अहसास होने लगा और वे भी लोगों के दु:खों को दूर करने के लिए दादाजी की तरह ‘दिव्य दरबार’ लगाने लगे। हालांकि 9 वर्ष की उम्र में ही वे हनुमानजी बालाजी सरकार की भक्ति, सेवा, साधना और पूजा करने लगे थे। कहते हैं कि इसी साधना का उन पर ऐसा असर हुआ की, बालाजी की कृपा से उन्हें सिद्धियां प्राप्त हुई।

बागेश्वर धाम

छतरपुर के पास गढ़ा में बागेश्वर धाम है जहां पर बालाजी हनुमानजी का मंदिर है। हनुमानी के मंदिर के सामने ही महादेवजी का मंदिर है। मंदिर के पास ही उनके दादाजी का समाधी स्थल और उनके गुरुजी का समाधी स्थल है। यहां पर मंगलवार को अर्जी लगती है। अर्जी लगाने के लिए लोग लाल कपड़े में नारियल बांधकर अपनी मनोकामना बोलकर उस नारियल को यहां एक स्थान पर बांध देते हैं और मंदिर की राम नाम जाप करते हुए 21 परिक्रमा लगाते हैं। यहां पर लाखों की संख्या में नारियल बंधे हुए मिल जाएंगे। मंदिर के पास ही गुरुजी का दरबार लगता है जहां पर लाखों की संख्‍या में लोग आते हैं।

साल 2003 से धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी इस दिव्य दरबार की देखरेख कर रहे हैं। मात्र 9 वर्ष की आयु में इन्होने हनुमान जी की पूजा शुरू कर दी थी तब से ही इनपर बाला जी का आशीर्वाद बना हुआ है। करीबन 300 साल पहले मानव कल्याण और जनसेवा के लिए सन्यासी बाबा द्वारा बागेश्वर धाम को शुरू किया गया था। धीरेन्द्र शास्त्री जी द्वारा इस परम्परा को आगे बढ़ाया गया। अपने गुरु समान दादाजी भगवान दास गर्ग के बाद इन्होने ही बागेश्वर धाम का कार्यभार संभाला। Bageshwar Dham से प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके धीरेन्द्र शास्त्री पर बालाजी महाराज हनुमान जी की कृपा है। इनकी शरण में जो भी व्यक्ति आता है उसकी समस्या का समाधान बालाजी के परम भक्त बागेश्वर धाम सरकार द्वारा कर लिए जाता है। इस धाम में हर मंगलवार और शनिवार को लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखाई पड़ती है।

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