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भारत के इस गांव में महिलाएं नहीं पहनती कपड़े

भारत के इस गांव में महिलाएं नहीं पहनती कपड़े – दुनिया में कई ऐसे रीति-रिवाज, परंपराएं है, जनकों लेकर विवाद और आलोचनाएं होती रहती हैं, लेकिन फिर भी इन रस्मों को हमारे समाज में निभाया जाता है. जैसे कहीं भाई-बहनों की शादी करवा दी जाती है, तो कहीं मामा-भांजी की. ये सभी रस्में देश और दुनिया में अलग-अलग जगह निभाई जाती हैं. वहीं, भारत के एक गांव में पुरुषों और महिलाओं के लिए एक अजीबोगरीब परंपरा है, जो यहां सदियों से निभाई जा रही है.

दुनिया 21वीं सदी में पहुंच चुकी है, लेकिन आज भी कई ऐसी परंपराएं हैं, जिनके बार में जानकर आपको हैरानी होगी। आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि भारत में अभी भी ऐसा होता है। देश के हर प्रदेश में अभी भी कुछ पुराने रीति-रिवाज हैं जिनका पालन किया जाता है। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश की मणिकर्ण घाटी के पीणी गांव में अभी भी अजीबोगरीब परंपरा को निभाया जाता है।

भारत के इस गांव में महिलाएं नहीं पहनती कपड़े
भारत के इस गांव में महिलाएं नहीं पहनती कपड़े

देश और दुनिया में कई ऐसी परंपराएं हैं, जिनको लेकर चर्चा, विवाद और आलोचना होती रहती है. कई बार शादी-ब्‍याह से पहले लड़के या लड़की के पेड़ के साथ विवाह संस्‍कार, कहीं भाई से तो कहीं मामा के साथ शादी को लेकर चर्चा होने लगती है. कहीं, सामान्‍य जीवन में महिलाओं या पुरुषों के लिए बनाई गई कई परंपराएं भी देश दुनिया में प्रचलित हैं. भारत के एक गांव में भी महिलाओं और पुरुषों के लिए एक अजीबोगरीब परंपरा है.

हिमाचल प्रदेश का पिणी गांव

हिमाचल प्रदेश की मणिकर्ण घाटी के पीणी गांव में हर साल सावन के महीने में इस अजीबोगरीब परंपरा को निभाया जाता है। यहां की महिलाएं कई साल से इस परंपरा को निभाती आ रही हैं। मान्यता है कि शादीशुदा महिलाओं को पांच दिनों तक वस्त्र नहीं पहनना चाहिए। अगर कोई भी महिला कपड़े पहन लेती है, तो उसे कोई अशुभ समाचार सुनने को मिल सकता है और उसके घर में कोई अप्रिय घटना हो सकती है। इस परंपरा को गांव के हर घर में निभाया जाता है।

इसके अलावा इन पांच दिनों तक पति-पत्नी आपस में बातचीत भी नहीं करते हैं। वह एक दूसरे से दूर रहते हैं। महिलाएं जब इस परंपरा का पालन कर रही होती हैं, तो पुरुष को शराब का सेवन नहीं करना होता है। 17 अगस्त से 21 अगस्त के बीच यह परंपरा चलती है। स्थानीय लोग मानते हैं कि ऐसा नहीं किया गया, तो देवता नाराज हो जाएंगे।

पति और पत्‍नी एक दूसरे को देख कर मुस्‍करा नहीं सकते

इन पांच दिनों में पति और पत्‍नी एक दूसरे से दूर रहते है और वह एक-दूसरे को देखकर मुस्‍करा भी नहीं सकते हैं. इस परंपरा के अनुसार यहां इस पर भी पांबद है. कहते हैं कि इन दिनों महिलाओं को एक कपड़ा पहनने का अनुमति है, जो ऊन से बना एक पटका होता है. इन दिनों में कोई भी बाहर का शख्स इस गांव में नहीं आ सकता है.

पुरुषों के लिए ये परंपरा थोड़ी अलग है

पुरुषों के लिए भी इस परंपरा को निभाना बहुत जरूरी माना जाता है. हालांकि, उनके लिए नियम कुछ अलग बनाए गए हैं. पुरुषों को सावन के इन्‍हीं पांच दिनों के दौरान शराब और मांस का सेवन नहीं करने की परंपरा है. कहा जाता है कि अगर किसी पुरुष ने पंरपरा को सही से नहीं निभाया तो देवता नाराज हो जाएंगे और उसका नुकसान कर देंगे.

ये परंपरा क्‍यों आज भी निभाई जाती है?

कहा जाता है कि बहुत समय पहले पिणी गांव में राक्षसों का बहुत आतंक था. इसके बाद ‘लाहुआ घोंड’ नाम के एक देवता पिणी गांव आए. देवता ने राक्षस का वध किया और पिणी गांव को राक्षसों के आतंक से बचाया. बताया जाता है कि ये सभी राक्षस गांव की सजी-धजी और सुंदर कपड़े पहनने वाली शादीशुदा महिलाओं को उठा ले जाते थे. देवताओं ने राक्षसों का वध करके महिलाओं को इससे बचाया. इसके बाद से देवता और राक्षस के बीच 5 दिन तक महिलाओं के कपड़े नहीं पहनने की परंपरा चली आ रही है. माना जाता है कि अगर महिलाएं कपड़ों में सुंदर दिखेंगी तो आज भी राक्षस उन्‍हें उठाकर ले जा सकते हैं.


हालांकि समय के साथ कई चीजों में बदलाव आया है।अब इन खास 5 दिनों में ज्‍यादातर महिलाएं घर से बाहर ही नहीं निकलती हैं. लेकिन, कुछ महिलाएं अपनी इच्‍छा से आज भी इस परंपरा का पालन करती हैं. अब इस परंपरा का पालन करने के लिए महिलाएं पांच दिनों तक कपड़े नहीं बदलती हैं। अब वह बेहद ही पतला कपड़ा पहनती हैं। लेकिन पहले महिलाएं पांच दिनों तक कपड़ा नहीं पहनती थीं। वह सिर्फ ऊन से बना हुआ पट्टू ओढ़कर रहती थीं। इन दिनों में गांव में कोई मांस-मदिरा का सेवन भी नहीं करता है।

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