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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उज्जैन

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह भारत में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो भगवान शिव के सबसे पवित्र आवास माने जाते हैं। महाकालेश्वर मंदिर के निर्माण का समय निर्धारित नहीं हो सकता है, लेकिन यह माना जाता है कि इसे 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। इस मंदिर का निर्माण ज्योतिष विद्वानों ने उज्जैन के समीप नदी के तट पर किया था। यह मंदिर महाकाल पहाड़ के ऊपर स्थित है और इसे पूरी तरह से शिव की पूजा के लिए समर्पित किया गया है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उज्जैन

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उज्जैन
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उज्जैन

मंदिर की स्थापना लगभग 2,000 साल पहले हुई थी और यह नदी क्षिप्रा के तट पर स्थित है। मंदिर का वास्तुकला राजपूत, मराठा और मुगल शैलियों का एक मिश्रण है, जो प्राचीन भारत की कला और संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है।

मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जो यहां महाकालेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं। महाकालेश्वर नाम दो शब्दों से लिया गया है – महा जो महानता को दर्शाता है और काल जो समय को दर्शाता है।

मंदिर के अंदर एक स्वर्णिम महाकालेश्वर लिंग है, जो बहुत ही प्राचीन है और भक्तों को अत्यंत प्रभावित करता है। मंदिर का विशेष रूप से शिवरात्रि और नाग पंचमी जैसे धार्मिक उत्सवों के समय पर भक्तों से भरा रहता है।

रहस्य

क्योंकि महाकाल में भस्म आरती होती है और ये कहा जाता है कि पहले यहां जलती हुई चिता की राख लाकर पूजा की जाती थी इसलिए माना जाता था कि महाकाल का संबंध मृत्यु से है, पर ये पूरा सच नहीं है। दरअसल, काल का मतलब मृत्यु और समय दोनों होते हैं और ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में पूरी दुनिया का मनक समय यहीं से निर्धारित होता था इसलिए इसे महाकालेश्वर नाम दे दिया गया। 

काल के दो अर्थ होते हैं- एक समय और दूसरा मृत्यु। महाकाल को ‘महाकाल’ इसलिए कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहीं से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम ‘महाकालेश्वर’ रखा गया है। हालांकि महाकाल कहने का संबंध पौराणिक मान्यता से भी जुड़ा हुआ है।

क्यों रात नहीं गुजारता कोई राजा या मंत्री

उज्जैन का एक ही राजा है और वह है महाकाल बाबा। विक्रमादित्य के शासन के बाद से यहां कोई भी राजा रात में नहीं रुक सकता। जिसने भी यह दुस्साहस किया है, वह संकटों से घिरकर मारा गया। यदि आप मंत्री या राजा हैं तो यहां रात ना रुकें। वर्तमान में भी कोई भी राजा, मुख्‍यमंत्री और प्रधानमंत्री आदि यहां रात नहीं रुक सकता। 

ऐसा माना जाता है कि विक्रमादित्य के समय से ही इस मंदिर के पास और शहर में कोई राजा या मंत्री रात नहीं गुजारता है। इससे जुड़े कई उदाहरण भी प्रसिद्ध हैं जिनके बारे में आपको जानकर आश्चर्य होगा। दरअसल, लंबे समय तक कांग्रेस और फिर भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया जो ग्वालियर के राजा भी हैं वो भी आज तक यहां रात को नहीं रुके हैं। इतना ही नहीं, देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई भी जब मंदिर के दर्शन करने के बाद रात में यहां रुके थे तो उनकी सरकार अगले ही दिन गिर गई थी। ऐसे ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री वी एस येदियुरप्पा भी जब उज्जैन में रुके थे तो उन्हें कुछ ही दिनों के अंदर इस्तीफा देना पड़ा था। इस रहस्य को कुछ लोग संयोग मानते हैं तो कुछ लोगों के मुताबिक एक लोककथा के अनुसार भगवान महाकाल ही इस शहर के राजा हैं और उनके अलावा कोई और राजा यहां नहीं रह सकता है।

भस्म आरती

कालों के काल महाकाल के यहां प्रतिदिन अलसुबह भस्म आरती होती है। इस आरती की खासियत यह है कि इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। इस आरती में शामिल होने के लिए पहले से बुकिंग की जाती है।

तीन महाकाल विराजमान हैं उज्जैन में

उज्जैन में साढ़े तीन काल विराजमान है- महाकाल, कालभैरव, गढ़कालिका और अर्ध काल भैरव। यदि महाकाल बाबा और जूना महाकाल बाबा के दर्शन कर लिए हैं तो यहां के दर्शन भी जरूर करें।

गर्भगृह

गर्भगृह में विराजित भगवान महाकालेश्वर का विशाल दक्षिणमुखी शिवलिंग है। इसी के साथ ही गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश व कार्तिकेय की मोहक प्रतिमाएं हैं। गर्भगृह में नंदी दीप स्थापित है, जो सदैव प्रज्वलित होता रहता है। गर्भगृह के सामने विशाल कक्ष में नंदी की प्रतिमा विराजित है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के तीन भाग हैं

वर्तमान में जो महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है, वह 3 खंडों में विभाजित है। निचले खंड में महाकालेश्वर, मध्य खंड में ओंकारेश्वर तथा ऊपरी खंड में श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर स्थित है। नागचन्द्रेश्वर शिवलिंग के दर्शन वर्ष में एक बार नागपंचमी के दिन ही करने दिए जाते हैं।

शिव को शराब भैरो बाबा के मंदिर में पिलाई जाती है

भैरो बाबा के मंदिर उज्जैन में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के एक रूप भैरव को समर्पित है। यह मंदिर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के समीप स्थित है। मंदिर का निर्माण पहाड़ी स्थानीय वासियों द्वारा किया गया था। मंदिर के स्थापत्य कला का एक शानदार उदाहरण है जो भारतीय संस्कृति को दर्शाता है। मंदिर के भैरव की मूर्ति मंदिर के अंदर स्थित है।

इस मंदिर में ज्योतिष उपायों के लिए ज्योतिषों और उनके अनुयायियों के आने का एक स्थान है

काल भैरो का मंदिर देश का ही नहीं बल्कि दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव को शराब पिलाई जाती है और जहां पूरी दुनिया में मंदिरों के आस-पास शराब आदि की दुकानें हटा दी जाती हैं वहीं दूसरी ओर महाकाल के मंदिर परिसर से लेकर इसके रास्ते तक में बहुत सारी शराब की दुकानें लगवाई गई हैं और यही नहीं यहां प्रसाद बेचने वाले लोग भी शराब अपने पास रखते हैं।

जूना महाकाल

महाकाल के दर्शन करने के बाद जूना महाकाल के दर्शन जरूर करना चाहिए। यह महाकाल प्रांगण में ही स्थित है।

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