महिलाओ मे PCOD क्या होता है :- आजकल महिलाएं पुरुषों से कदम से कदम मिला कर चल रही है | महिलाएं घर के काम और घर से बाहर निकाल कर दफ्तर के काम सुचारु रूप से कर रही है | इन भाग-दौड़ भारी दिनचर्या मे वे अपने शरीर का ध्यान नहीं रख पाते है जिससे उनहे कई बीमारिया होजाती है |उन्ही बीमारियों में से एक है PCOD,अधिक कार्य होने के कारण लड़किया और महिलाएं अपने खान-पान पर ध्यान नहीं दे पती है , जिससे कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है | हमारे खान-पान और रहन-सहन का असर हमारे शरीर पर पड़ता है,जिससे बहोत सारी बीमारियाँ होती है| हम क्या खाते है ,क्या पीते है ईसक असर PCOD पर पड़ता है |
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पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर(PCOD)क्या है
(पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर)PCOD का पूरा नाम है | यह एक प्रकार का हार्मोनल विकार होता है। यह अधिकतर महिलाओं की प्रजनन आयु में उन्हें प्रभावित करता है। इस डिसऑर्डर में, महिला का शरीर असंतुलित तरीके से हार्मोन का उत्पादन करने लगता है जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में पुरुष हार्मोन (Androgen) का उत्पादन भी बढ़ जाता है। एक शोध के अनुसार, हर 10 में से 1 महिला इस डिसऑर्डर से पीड़ित है।
किन्हे होता है PCOD?
पाँच से दस फीसदी महिलायें ,15 वर्ष से 40 वर्ष के बीच पीसीओडी(PCOD) से पीड़ित है |20 से 30 वर्ष की आयु मे अधिकांश महिलाओ को पता चलता है की वह PCOD से पीड़ित है |महिलाओं को जब गर्भाधरण करने मे दिकत होती है तब वे डाक्टर के पास जाती है तो उन महिलाओ को पता चलता है की वह PCOD से पीड़ित है |PCOD की समस्या यदि आपकी माँ ,मौसी को है तो आनुवांशिक (GENETIC)समस्या से आपको भी हो सकता है |
किन कारणों से PCOD होता है ?
PCOD किन कारणों से होता है ,इसका सही कारणों का पता लगाना असंभव है |इस बीमारी की मुख्य वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि लाइफ में तेजी से बढ़ा स्ट्रेस, बदला हुआ लाइफस्टाइल, लेट नाइट तक जागना और फिर दिन में देर तक सोना, स्मोकिंग और ड्रिकिंग में महिलाओं का बढ़ता शौक आदि पीसीओडी के मुख्य कारण हो सकते हैं।परन्तु एक्सपार्ट्स ने कुछ कारणों को बताया है जिसकी कारण PCOD होसकता है –
- बढ़ी हुई इंसुलिन की मात्र : मनुष्य के शरीर मे इंसुलिन के अधिकता के परिणामस्वरूप अधिक मात्रा मे एण्ड्रोजन का उत्पादन होने लगता है | यह हार्मोनल असंतुलन का कारण बंता है |यही समस्या महिलाओ के बांझपन का कारण बनता है |
- निम्न श्रेणी मे सूजन :जिन महिलाओ के शरीर मे श्वेत रक्त कोशिकाओं का उत्पादन पूर्णरूप से नहीं होता है उन महिलाओ मे रोगप्रतिरोधक छमता काम हो जाता है , जिससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है | जिन महिलाओं के निम्न श्रेणी मे सूजन होजाती है , उन महिलाओं मे एन्ड्रोजन का उत्पादन अधिक मात्रा मे होता है |
- आनुवंशिक :चिकित्सकों का मानना है की महिलाओं मे PCOD की समस्या उनके परिवार से होता है | यह एक जेनेटिक समस्या है |
PCOD होने के लक्षण
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इस हार्मोनल विकार मे केवल एक ही प्रकार की समस्या नहीं है । इसके लक्षण हर एक महिला में अलग – अलग होता है | यह महिलाओं के स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर परिवर्तनशील होते हैं। एक महिला या लड़की अपने पहले मासिक धर्म के आसपास या उसके बाद PCOD के लक्षणों का अनुभव करती है। PCOD के कुछ सामान्य संकेतों में निम्न शामिल हैं:
- अनियमित पीरियड्स,
- चेहरे पे मुहाँसे,
- चेहरे पे अधिक बाल,
- पीरियड्स के समय हैवी ब्लीडिंग,
- एण्ड्रोजन की अधिकता (पुरुष हार्मोन्स ),
- अंडाशय का बड़ा होना,
- वजन बढ़ जाना,
- त्वचा पे काले धब्बे,
- सिर दर्द होना,
- बालों का पतला होजाना,
इन महिलाओं को होती है जादा दिक्कत
PCOD की समस्या उन महिलाओं में अधिक देखने को मिल रही है, जो नाइट शिफ्ट में काम करती हैं। पूरी रात जागना देर रात खाना जैसी लाइफस्टाइल उनकी सेहत को भारी नुकसान पहुंचा रही है। क्योंकि इस तरह के रुटीन से बायॉलजिकल क्लॉक डिस्टर्ब हो जारही है। जो इस दिक्कत को बढ़ा रही है |
PCOD महिलाओं के शरीर पे असर –
- PCOD की समस्या होने पर महिलाओं को गर्भधारण करने में तो दिक्कत आती है।
- हॉर्मोनल इंबैलंस के कारण भावनात्मक रूप से बहुत अधिक उथल-पुथल का सामना करती हैं।
- इस बीमारी में वजन तेजी से बढ़ने लगता है जबकि कुछ महिलाओं को हर समय कमजोरी की शिकायत रहती है।
- पीरियड्स में किसी को कम ब्लीडिंग होती है तो किसी को बहुत अधिक ब्लीडिंग होती है।
PCOD के घरेलू उपचार –
PCOD के लिए प्राथमिक उपचार में दवाओं के साथ जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं। उपचार विधियों को चार श्रेणियों में माना जा सकता है –
- इंसुलिन रेजिस्टेंस लेवल को कम करना,
- प्रजनन क्षमता को बढ़ाना,
- अनचाहे बालों के विकास को कम करना और मुँहासे के उपचार का प्रबंध करना,
- मासिक धर्म को पुनः नियमित करना और एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया और एंडोमेट्रियल कैंसर से भी बचाव,
वजन कम करने में या इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करने में सामान्य उपाय काफी सहायक हो सकते है क्योंकि ये मुख्य कारण माने जाते हैं। इन्दिरा आईवीएफ की निःसंतानता एवं आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शिल्पा गुलाटी बताती हैं चूंकि पीसीओडी मनोवैज्ञानिक तनाव का परिणाम है, इसलिए निम्नलिखित उपचार अपनाए जा सकते हैं।
- आहार में बदलाव,
- इनोसिटोल, जिंक, संयुक्त विटामिन डी और कैल्शियम, कॉड लिवर ऑयल जैसे सप्लीमेंट्स,
- मेप्टा जड़, अश्वगंधा, तुलसी जैसे एडाप्टोजेन जड़ी बूटियां,
- प्रोबायोटिक्स,
- स्वस्थ वजन बनाए रखें,
- अपने व्यायाम को संतुलित करें,
- अच्छी नींद स्वच्छता का अभ्यास करें,
- तनाव कम करना,
- अंतःस्रावी अवरोधों को सीमित करें या उनसे बचें,
- एक्यूपंक्चर पर विचार करें,
PCOD मे क्या खाना चाहिए –
जो महिलाएं पीसीओडी की समस्या से जूझ रही हैं, उन्हें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। इन्हें घर का बना शुद्ध भोजन ही करना चाहिए। जितना अधिक हो सके प्रॉसेस्ड फूड से दूर रहें।फाइबर बेस्ड डायट लें। इसके लिए अपने खाने में सब्जियां, दालें, दलिया आदि शामिल करें।कोशिश करें कि आपका भोजन कम से कम तेल में बना हो। ऑइली फूड आपको नुकसान दे सकता है।चाय-कॉफी के जरिए कैफीन लेना बंद कर दें। ऐसा संभव ना हो तो दिन में केवल एक या दो बार ही इनका उपयोग करें। एल्कोहॉल और शुगर की मात्रा को भी बहुत सीमित कर दें।जंक फूड से दूरी बना लें। इसकी जगह अपनी डायट में ड्राई फ्रूट्स, नट्स, दूध, दही, छाछ, फ्रूट्स और फिश जैसी हेल्दी चीजें शामिल करें।