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साइनस रोग क्या होता है

साइनस रोग क्या होता है

साइनस रोग क्या होता है सर्दी-जुकाम एक ऐसी परेशानी है जो दो से चार दिनों में अपने आप ठीक होने लगता है। जो जुकाम एक हफ्ते में ठीक हो जाए वो कॉमन फ्लू है,लेकिन जो लंबे समय तक बना रहे वो साइनस हो सकता है। जुकाम का बहना एक तरह से आपकी सेहत के लिए फायदेमंद है। जो जुकाम बहता नहीं वो अंदर ही अंदर जम जाता है और आगे चलकर साइनस बन सकता है। साइनस जिसे मेडिकल भाषा में साइनोसाइटिस कहते है।इस बीमारी को इग्नोर करना ठीक नहीं है। इस बीमारी में रोगी की नाक की हड्डी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से जुकाम रहता है। ठंडी चीजों से परहेज किया जाए तो ये बीमारी कई बार खुद ही खत्म हो जाती है, लेकिन जिन्हें ये परेशानी लंबे समय तक रहती है उन्हें नाक का ऑपरेशन कराना पड़ता है।

साइनस रोग क्या होता है

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साइनस रोग क्या होता है

साइनस में नाक तो अवरूद्ध होती है, साथ ही नाक में कफ आदि का बहाव अधिक मात्रा में होता है। भारतीय वैज्ञानिक सुश्रुत एवं चरक के अनुसार चिकित्सा न करने से सभी तरह के साइनस रोग आगे जाकर ‘दुष्ट प्रतिश्याय’ में बदल जाते हैं और इससे अन्य रोग भी जन्म ले लेते हैं। आम धारणा यह है कि इस रोग में नाक के अन्दर की हड्डी बढ़ जाती है या तिरछी हो जाती है जिसके कारण श्वास लेने में रुकावट आती है। ऐसे मरीज को जब भी ठण्डी हवा या धूल, धुआँ उस हड्डी पर टकराता है तो व्यक्ति परेशान हो जाता है।

साइनस रोग क्या होता है

वास्तव में साइनस के संक्रमण होने पर साइनस की झिल्ली में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण हवा की जगह साइनस में मवाद या बलगम आदि भर जाता है, जिससे साइनस बंद हो जाते हैं। इस वजह से माथे पर, गालों पर ऊपर के जबड़े में दर्द होने लगता है।

शायद आपको पता नहीं कि साइनस कई प्रकार के होते हैं-

(Acute sinusitis)- इस प्रकार में लक्षण अचानक शुरू होकर दो से चार हफ्तों तक तकलीफ रहती है।

(Sub Acute sinusitis)- इस प्रकार में साइनस में सूजन चार से बारह हफ्तों तक रहती है।

(Chronic sinusitis)- इस प्रकार में लक्षण बारह हफ्तों से अधिक समय तक रहता है।

(Recurrent sinusitis)- इस प्रकार में रोगी को सालभर बार-बार साइनोसाइटिस की समस्या होती रहती है।

साइनस के लक्षण

  • नाक में भारीपन महसूस होना: जिन लोगों को साइनज होता है उनकी नाक हमेशा भारी महसूस होती है। कई बार नाक में सूजन भी आ जाती है।
  • सिर दर्द होना: सिर दर्द होना साइनस का मुख्य लक्षण है, जिन लोगों को सिर दर्द की परेशानी है वो सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें और अपना इलाज शुरू करें।
  • साइनस में अक्सर बुखार रहना: कुछ लोगों में पाया गया है कि साइनस के कारण बुखार भी रहता है। आप भी इस तरह की परेशानी महसूस करते हैं तो तुरंत उपचार कराएं।
  • साइनस में खांसी और चेहरे पर सूजन आना: साइनस की वजह से लोगों को खांसी और चेहरे पर सूजन भी आ सकती हैं।
  • सूंघने की शक्ति कमजोर होना:खोखले छिद्रों में अवरोध पैदा होने के कारण सूंघने की शक्ति पर प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में नाक बंद हो जाती है और सूजन के कारण इंद्रियां अपना काम ठीक से नहीं कर पाती हैं। इसलिए, किसी भी चीज को सूंघने की सामान्य क्षमता कम हो जाती है।
  • आवाज में बदलाव:साइनस के कारण नाक से तरल पदार्थ निकलता रहता है और दर्द होता है, जिसका असर आपकी आवाज पर भी पड़ता है। इस दौरान, आपकी आवाज सामान्य से थोड़ी भिन्न हो जाती है। आवाज में भारीपन या धीमापन आ जाता है। आवाज में हो रहे इस बदलाव के जरिए आप साइनस के लक्षण की पहचान कर सकते हैं।
  • थकान-चिकित्सकों का मानना है कि अगर तेज जुकाम के साथ सिरदर्द, नींद न आना, नाक का बार-बार बंद होना और थकान महसूस होती है, तो यह लक्षण साइनस के हैं।

साइनस होने के कारण

जिस तरह मॉर्डन मेडिकल साइंस ने साइनुसाइटिस को क्रोनिक और एक्यूट दो तरह का माना है। आयुर्वेद में भी प्रतिश्याय को नव प्रतिश्याय ‘एक्यूट साइनुसाइटिस’ और पक्व प्रतिश्याय ‘क्रोनिक साइनुसाइटिस’ के नाम से जाना जाता है।

दरअसल, हमारे सिर में कई खोखले छिद्र (कैविटीज) होते हैं, जो सांस लेने में हमारी मदद करते हैं और सिर को हल्का रखते हैं। इन छिद्रों को साइनस या वायुविवर कहा जाता है। जब इन छिद्रों में किसी कारणवश गतिरोध पैदा होता है, तब साइनस की समस्या उत्पन्न होती है। ये छिद्र कई कारणों से प्रभावित हो सकते हैं और बैक्टीरिया, फंगल व वायरल इसे गंभीर बना देते हैं। एक्यूट साइनोसाइटिस दो से चार हफ्तों तक रहता है, जबकि क्रॉनिक साइनोसाइटिस 12 हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक रहता है। निम्नलिखित बिंदुओ के जरिए जानिए साइनस की समस्या उत्पन्न होने के सबसे अहम कारण-

  • प्रदूषण- साइनस की समस्या प्रदूषण के कारण भी हो सकती है। ज्यादा प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाले लोग इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। धूल के कण, स्मॉग और दूषित वायु के कारण साइनस की समस्या बढ़ सकती है। ये हानिकारक कण सीधे हमारी श्वास नली पर प्रहार करते हैं। इससे धीरे-धीरे जुकाम, नाक का बहना और दर्द आदि समस्या होती है।
  • नाक की हड्डी बढ़ना- नाक की हड्डी बढ़ने के कारण भी साइनस की समस्या हो जाती है। दरअसल, बचपन या किशोरावस्था में नाक पर चोट लगने या दबने के कारण नाक की हड्डी एक तरफ मुड़ जाती है, जिससे नाक का आकार टेढ़ा दिखाई देता है। हड्डी का यह झुकाव नाक के छिद्र को प्रभावित करता है, जिससे साइनस की समस्या हो सकती है। कोई भी कारण, जो श्वास छिद्रों में अवरोध पैदा करते हैं, उनसे साइनस की समस्या पैदा हो सकती है।
  • जुकाम- साइनस का सबसे सामान्य कारण जुकाम है, जिसकी वजह से नाक निरंतर बहती है या फिर बंद हो जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है।जुकाम एक प्रकार का संक्रामक होता है, जो किसी और के माध्यम से भी आपको चपेट में ले सकता है। जिन लोगों को लगातार जुकाम होता है, उन्हें साइनस होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।
  • एलर्जी- बहुत से लोगों को नाक संबंधी एलर्जी की शिकायत रहती है। बाहर की दूषित वायु के संपर्क में आते ही यह समस्या बढ़ जाती है। नाक संबंधी एलर्जी मौसम के कारण भी हो सकती है। सर्दियों के दर्द, आवाज में बदलाव, सिरदर्द आदि आम हैं, लेकिन आप इन्हें हल्के में न लें। साइनस इन्हीं लक्षणों के साथ दस्तक देता है।
  • अस्थमा- अस्थमा सांस संबंधी गंभीर बीमारी है, जो फेफड़ों और श्वास नलियों को प्रभावित करती है। अस्थमा से ग्रसित मरीज ठीक प्रकार से सांस नहीं ले पाता, जिसके लिए उसे स्पेसर की आवश्यकता पड़ती है। इन हालातों में मरीज को साइनस की समस्या होने के आसार बढ़ जाते हैं।
  • भोजन- खान-पान में बरती गई लापरवाही भी साइनस का कारण बन सकती है। भोजन की अनियंत्रित मात्रा व पौष्टिक तत्वों की कमी से पाचन तंत्र प्रभावित होता है, जो आगे चलकर साइनस की समस्या की जड़ बन सकता है।

साइनस का उपचार

साइनस के बारे में अक्सर लोगों की राय है कि ये बीमारी एक बार हो गई तो तमाम उम्र उनके साथ रहेगी। लेकिन लोगों को इस सोच से बाहर आने की जरूरत है। साइनस ऐसी बीमारी है जिसका ठीक से उपचार किया जाए तो उससे निजात पाई जा सकती है। आइए आपको बताते है कैसे करें इसका उपचार।

  • आयुर्वेदिक तरीके से इसका उपचार संभव है। साइनस का इलाज आयुर्वेदिक तरीके से किया जा सकता है। आयुर्वेद में इस बीमारी की सफलता की दर अधिक है।
  • इस नाक की बीमारी का इलाज एंटीबायोटिक दवाई के माध्यम से भी संभव है। ये दवाईयां शरीर में साइनस को बढ़ने से रोकती हैं और व्यक्ति को कुछ समय की राहत भी देती हैं।
  • साइनस से पीड़ित व्यक्ति को नेज़ल स्प्रे का इस्तेमाल करना चाहिए, स्प्रे से बंद नाक खुलती है और जल्द राहत मिलती है।
  • योगा को किसी भी बीमारी के इलाज का सर्वोत्तम तरीका माना जाता है। साइनस का इलाज योगा के द्वारा संभव है। इसके लिए कुछ योगासान जैसे कपालभाती, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम इत्यादि को किया जा सकता है।
  • साइनस का इलाज किसी अन्य तरीकों से संभव नहीं हो पाता है तो फिर सर्जरी का सहारा लेना चाहिए। इस स्थिति में नाक की सर्जरी या साइनस सर्जरी को कराना लाभदायक साबित हो सकता है।
  • प्याज और लहसुन साइनस से पीड़ित लोगों के लिए जड़ी-बूटी का काम करता है। इन्हें भोजन में शामिल करने से यह शरीर में बनने वाले बलगम को खत्म करने और बलगम को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। प्याज में मौजूद सल्फर सर्दी, खांसी और साइनस के संक्रमण के लिए एंटी बैक्टिरियल का काम करता है। प्याज को काटते समय जो महक आती है उससे भी साइनस में काफी आराम मिलता है। लहसून और प्याज का उपयोग करने के लिए दोनों को पानी में उबाल कर भाप लें। इससे साइनस के दर्द से आपको और दर्द वाले स्थान पर सिकाई करें इससे भी दर्द से राहत मिलती है।
  • शरीर में पर्याप्त जल की कमी कई शारीरिक बीमारियों को दावत दे सकती है, इसलिए दिनभर तीन से चार लीटर पानी पीने की सलाह दी जाती है। पानी का संचार शरीर के विषैले तत्वों को मल-मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है।
  • एक कटोरे सूप में एक छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर डालें और धीरे-धीरे पियें। ऐसा हफ्तों में दो-तीन बार दिन में करें। काली मिर्च के सेवन से साइनस की सूजन कम हो जाएगी और बलगम सूख जाएगा।
  • साइनस पैदा करने वाले सूक्ष्मजीवों को दालचीनी नष्ट करने में मदद करती है। एक गिलास गरम पानी में एक छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर मिक्स करें और दिन में एक बार पिएं। ऐसा दो हफ्ते तक करने से ज़रूर आराम मिलता है।

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